वो हर्फ़-ए-राज़ कि मुझ को सिखा गया है जुनूँ By Sher << न जाने कब तिरे दिल पर नई ... शहर का तब्दील होना शाद रह... >> वो हर्फ़-ए-राज़ कि मुझ को सिखा गया है जुनूँ ख़ुदा मुझे नफ़स-ए-जिबरईल दे तो कहूँ Share on: