वो हवा-ख़्वाह-ए-चमन हूँ कि चमन में हर सुब्ह By Sher << मैं उन से भी मिला करता हू... फ़र्श-ए-मय-ख़ाना पे जलते ... >> वो हवा-ख़्वाह-ए-चमन हूँ कि चमन में हर सुब्ह पहले मैं आता हूँ और बाद-ए-सबा मेरे बा'द Share on: