वो ज़ख़्म चुन के मिरे ख़ार मुझ में छोड़ गया By Sher << या मुझे तेरी हथेली बूझे वो जिस ने अश्कों से हार न... >> वो ज़ख़्म चुन के मिरे ख़ार मुझ में छोड़ गया कि उस को शौक़ था बे-इंतिहा गुलाबों का Share on: