वो जो इक शोर सा बरपा है अमल है मेरा By Sher << ये बे-कनार बदन कौन पार कर... वो चाँद कह के गया था कि आ... >> वो जो इक शोर सा बरपा है अमल है मेरा ये जो तन्हाई बरसती है सज़ा मेरी है Share on: