वो क़िस्सा-ए-दर्द-आगीं चुप कर दिया था जिस ने By Sher << दिल-ए-फ़सुर्दा को छींटे ह... बस बहुत ज़ब्त-ए-ग़म-ए-इश्... >> वो क़िस्सा-ए-दर्द-आगीं चुप कर दिया था जिस ने तुम से न सुना जाता मुझ से न बयाँ होता Share on: