वो मक़ामात-ए-मुक़द्दस वो तिरे गुम्बद ओ क़ौस By Sher << किशन की गोपियाँ की नईं है... लफ़्ज़ भी जिस अहद में खो ... >> वो मक़ामात-ए-मुक़द्दस वो तिरे गुम्बद ओ क़ौस और मिरा ऐसे निशानात का ज़ाएर होना Share on: