वो मेरे बख़्त की तहरीर क्यूँ नहीं बनता By Sher << ये इंक़िलाब-ए-ज़माना नहीं... अब जहाँ मैं हूँ वहाँ मेरे... >> वो मेरे बख़्त की तहरीर क्यूँ नहीं बनता वो मेरा ख़्वाब है ता'बीर क्यूँ नहीं बनता Share on: