वो मिरी रूह की उलझन का सबब जानता है By Sher << रहता सुख़न से नाम क़यामत ... कमी न की तिरे वहशी ने ख़ा... >> वो मिरी रूह की उलझन का सबब जानता है जिस्म की प्यास बुझाने पे भी राज़ी निकला Share on: