वो नग़्मा बुलबुल-ए-रंगीं-नवा इक बार हो जाए By Sher << जिस तरह ख़्वाब मिरे हो गए... इसी मज़मून से मालूम उस की... >> वो नग़्मा बुलबुल-ए-रंगीं-नवा इक बार हो जाए कली की आँख खुल जाए चमन बेदार हो जाए Share on: