वो तिरे नसीब की बारिशें किसी और छत पे बरस गईं By Sher << पता नहीं ये तमन्ना-ए-क़ुर... ये आग लगने से पहले की बाज... >> वो तिरे नसीब की बारिशें किसी और छत पे बरस गईं दिल-ए-बे-ख़बर मिरी बात सुन उसे भूल जा उसे भूल जा Share on: