वो तो ख़ुश्बू है हर इक सम्त बिखरना है उसे By Sher << अपने गले पे चलती छुरी का ... वक़्त के साथ 'सदा'... >> वो तो ख़ुश्बू है हर इक सम्त बिखरना है उसे दिल को क्यूँ ज़िद है कि आग़ोश में भरना है उसे Share on: