वो वक़्त और थे कि बुज़ुर्गों की क़द्र थी By Sher << नौ-मश्क़-ए-इश्क़ हैं हम आ... कभी न जाएगा आशिक़ से देख-... >> वो वक़्त और थे कि बुज़ुर्गों की क़द्र थी अब एक बूढ़ा बाप भरे घर पे बार है Share on: