ये हम को छोड़ के तन्हा कहाँ चले 'वामिक़' By Sher << तुम आ गए हो तो कुछ चाँदनी... काफ़िर हूँ गर मैं नाम भी ... >> ये हम को छोड़ के तन्हा कहाँ चले 'वामिक़' अभी तो मंज़िल-ए-मेराज-ए-दार बाक़ी है Share on: