अब के 'वक़ार' ऐसे बिछड़े हैं By Sher << खेल-कूद कर शाम ढले क्यूँ कतराते हैं बल खाते हैं घब... >> अब के 'वक़ार' ऐसे बिछड़े हैं मिलने का इम्कान नहीं है Share on: