वस्ल को माँ के तरसते हैं मिरे बच्चे भी By Sher << तू भी देखेगा ज़रा रंग उतर... यही है वक़्त कि जी भर के ... >> वस्ल को माँ के तरसते हैं मिरे बच्चे भी कैफ़ियत हिज्र की मुझ पर ही नहीं तारी है Share on: