ऐ सबा क़िल'अ-ए-हस्ती से जो दम घबराया By Sher << राह-ए-उल्फ़त का निशाँ ये ... धूप के साथ गया साथ निभाने... >> ऐ सबा क़िल'अ-ए-हस्ती से जो दम घबराया बढ़ के दो-चार क़दम मौत का आगा बाँधा Share on: