वो अफ़्साना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन By Sher << लाई है अब उड़ा के गए मौसम... सब को दुनिया की हवस ख़्वा... >> वो अफ़्साना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन उसे इक ख़ूब-सूरत मोड़ दे कर छोड़ना अच्छा Share on: