वो ज़माने का तग़य्युर हो कि मौसम का मिज़ाज By Sher << ये माना सैल-ए-अश्क-ए-ग़म ... वो आए तो लगा ग़म का मुदाव... >> वो ज़माने का तग़य्युर हो कि मौसम का मिज़ाज बे-ज़रर दोनों हैं नैरंगी-ए-आदाम के सिवा Share on: