वो जिस ने मुझ को तिरे हिज्र में बहाल रखा By Sher << अज़ल से दिल है सज्दा में ... ये जो फूलों से भरा शहर हु... >> वो जिस ने मुझ को तिरे हिज्र में बहाल रखा तू आ गया है तो क्या उस से बेवफ़ा हो जाऊँ Share on: