वो जिस से मेरी ज़ात में बिखरी थी रौशनी By Sher << उन से मिरे नसीब का चक्कर ... वो जिस के होने से अपने थे... >> वो जिस से मेरी ज़ात में बिखरी थी रौशनी वो ख़्वाब वो ख़याल वो पैकर नहीं रहा Share on: