याँ रख़्ना-हा-ए-सीना कुदूरत से हैं फटे By Sher << याँ तक किया मैं गिर्या कि... यक क़तरा ख़ूँ बग़ल में है... >> याँ रख़्ना-हा-ए-सीना कुदूरत से हैं फटे वाँ हो गए हैं रौज़न-ए-दीवार-ए-यार बंद Share on: