यही इंसाफ़ तिरे अहद में है ऐ शह-ए-हुस्न By Sher << यार की फ़र्त-ए-नज़ाकत का ... याद दिलवाइए उन को जो कभी ... >> यही इंसाफ़ तिरे अहद में है ऐ शह-ए-हुस्न वाजिब-उल-क़त्ल मोहब्बत के गुनहगार हैं सब Share on: