यही तो होता है शीशे के कारोबार का हश्र By Sher << ता-अबद जिस का न साया जाए तू कहानी के बदलते हुए मंज... >> यही तो होता है शीशे के कारोबार का हश्र उजड़ गया है अचानक हरा-भरा बाज़ार Share on: