यकजाई का तिलिस्म रहा तारी टूट कर By Sher << अब तो जाते हैं बुत-कदे से... ज़िंदगी वादी ओ सहरा का सफ... >> यकजाई का तिलिस्म रहा तारी टूट कर वो सामने से हट के बराबर में आ गया Share on: