यज़ीद-ए-वक़्त मिरा ख़ूँ बहाना चाहता है By Sher << ज़रा सी बात नहीं है किसी ... ख़ाक में दौलत-ए-पंदार-ओ-अ... >> यज़ीद-ए-वक़्त मिरा ख़ूँ बहाना चाहता है वो कर्बला में मुझे फिर से लाना चाहता है Share on: