ये आरज़ू थी कि हम उस के साथ साथ चलें By Sher << ख़ुद से लिखने का इख़्तिया... हो चमन के फूलों का या किस... >> ये आरज़ू थी कि हम उस के साथ साथ चलें मगर वो शख़्स तो रस्ता बदलता जाता है Share on: