ये अब घरों में न पानी न धूप है न जगह By Sher << मरने के डर से और कहाँ तक ... गिरते पेड़ों की ज़द में ह... >> ये अब घरों में न पानी न धूप है न जगह ज़मीं ने 'तल्ख़' ये शहरों को बद-दुआ दी है Share on: