ये ऐसा क़र्ज़ है जो मैं अदा कर ही नहीं सकता By Sher << फूल तो दो दिन बहार-ए-जाँ-... उस के वारिस नज़र नहीं आए >> ये ऐसा क़र्ज़ है जो मैं अदा कर ही नहीं सकता में जब तक घर न लौटूँ मेरी माँ सज्दे में रहती है Share on: