ये और बात कि कम-हौसला तो मैं भी थी By Sher << ये शहर है अंजान कहाँ रात ... या मुझे तेरी हथेली बूझे >> ये और बात कि कम-हौसला तो मैं भी थी मगर ये सच है उसे पहले मैं ने चाहा था Share on: