ये दिल हद से गुज़रना चाहता था By Sher << गुलों का दौर है बुलबुल मज... अभी हैरत ज़ियादा और उजाला... >> ये दिल हद से गुज़रना चाहता था मगर मजबूर हो कर रह गया है Share on: