ये दिल की बे-क़रारी ख़ाक हो कर भी न जाएगी By Sher << दिल अजब मुश्किल में है अब... काबा को अगर मानें कि अल्ल... >> ये दिल की बे-क़रारी ख़ाक हो कर भी न जाएगी सुनाती है लब-ए-साहिल से ये रेग-ए-रवाँ मुझ को Share on: