ये ज़िंदगी की आख़िरी शब ही न हो कहीं By Sher << दोस्ती छूटे छुड़ाए से किस... जो हम ये तिफ़लों के संग-ए... >> ये ज़िंदगी की आख़िरी शब ही न हो कहीं जो सो गए हैं उन को जगा लेना चाहिए Share on: