ये ज़ख़्म-ए-इश्क़ है कोशिश करो हरा ही रहे By Sher << ख़ुश-नसीब आज भला कौन है ग... हज्व ने तो तिरा ऐ शैख़ भर... >> ये ज़ख़्म-ए-इश्क़ है कोशिश करो हरा ही रहे कसक तो जा न सकेगी अगर ये भर भी गया Share on: