ये जो रौशनी है कलाम में कि बरस रही है तमाम में By Sher << सहरा जंगल सागर पर्बत कोई ऐ 'शकील' पूछे... >> ये जो रौशनी है कलाम में कि बरस रही है तमाम में मुझे सब्र ने ये समर दिया मुझे ज़ब्त ने ये हुनर दिया Share on: