ये कड़वा सच है यारों मुफ़्लिसी का By Sher << हर रूह पस-ए-पर्दा-ए-तरतीब... निगाहें करती रह जाती हैं ... >> ये कड़वा सच है यारों मुफ़्लिसी का यहाँ हर आँख में हैं टूटे सपने Share on: