ये काएनात अभी ना-तमाम है शायद By Sher << नए दौर के नए ख़्वाब हैं न... सुब्ह-ए-काज़िब की हवा में... >> ये काएनात अभी ना-तमाम है शायद कि आ रही है दमादम सदा-ए-कुन-फ़यकूँ Share on: