ये मेरे जज़्ब-ए-निहाँ का है मोजज़ा शायद By Sher << 'बिस्मिल' बुतों क... इश्क़ के मराहिल में वो भी... >> ये मेरे जज़्ब-ए-निहाँ का है मोजज़ा शायद कि दिल में झाँक के देखूँ तो तू ही तू निकले Share on: