ये मेरे पास जो चुप-चाप आए बैठे हैं By Sher << चीन-ए-पेशानी न दिखलाओ मैं... तीर पर तीर लगाओ तुम्हें ड... >> ये मेरे पास जो चुप-चाप आए बैठे हैं हज़ार फ़ित्ना-ए-महशर उठाए बैठे हैं Share on: