ये सब माह-ओ-अंजुम मिरे वास्ते हैं By Sher << रोने से एक पल नहीं मोहलत ... क़तरों से समुंदर का बनाना... >> ये सब माह-ओ-अंजुम मिरे वास्ते हैं मगर इस ज़मीं पर मैं क़ैद-ए-जहाँ हूँ Share on: