ये सच है चंद लम्हों के लिए बिस्मिल तड़पता है By Sher << ज़रा ये धूप ढल जाए तो उन ... ये मुमकिन है तुम्हारा अक्... >> ये सच है चंद लम्हों के लिए बिस्मिल तड़पता है फिर इस के बअ'द सारी ज़िंदगी क़ातिल तड़पता है Share on: