ये सर्द रात ये आवारगी ये नींद का बोझ By Sher << मिरे राहबर मुझ को गुमराह ... तेरे कहने से चुप नहीं हूँ... >> ये सर्द रात ये आवारगी ये नींद का बोझ हम अपने शहर में होते तो घर चले जाते Share on: