ये सोच कर तिरी महफ़िल से हम चले आए By Sher << पत्थर होता जाता हूँ बैठे भरे हुए हैं ख़ुम-ए-म... >> ये सोच कर तिरी महफ़िल से हम चले आए कि एक बार तो बढ़ जाए हौसला दिल का Share on: