ये सोचना ग़लत है कि तुम पर नज़र नहीं By Sher << एक उम्र से तुझे मैं बे-उज... अब दिल को समझाए कौन >> ये सोचना ग़लत है कि तुम पर नज़र नहीं मसरूफ़ हम बहुत हैं मगर बे-ख़बर नहीं Share on: