ये तो नहीं कहता हूँ कि सच-मुच करो इंसाफ़ By Sher << पाँव के नीचे से पहले खींच... तुम को आशुफ़्ता-मिज़ाजों ... >> ये तो नहीं कहता हूँ कि सच-मुच करो इंसाफ़ झूटी भी तसल्ली हो तो जीता ही रहूँ मैं Share on: