यूँ एहतिमाम-ए-रद्द-ए-सहर कर दिया गया By Sher << वो मेरे क़त्ल का मुल्ज़िम... इजाज़त कम थी जीने की मगर ... >> यूँ एहतिमाम-ए-रद्द-ए-सहर कर दिया गया हर रौशनी को शहर-बदर कर दिया गया Share on: