यूँ न किसी तरह कटी जब मिरी ज़िंदगी की रात By Sher << मय-ख़ाने में क्यूँ याद-ए-... पहले नहाई ओस में फिर आँसु... >> यूँ न किसी तरह कटी जब मिरी ज़िंदगी की रात छेड़ के दास्तान-ए-ग़म दिल ने मुझे सुला दिया Share on: