यूँ आओ मिरे पहलू में तुम घर से निकल कर By Sher << जिस क़दर नफ़रत बढ़ाई उतनी... क्यूँ जाम-ए-शराब-ए-नाब मा... >> यूँ आओ मिरे पहलू में तुम घर से निकल कर बू आती है जिस तरह गुल-ए-तर से निकल कर Share on: