यूँ पलक पर जगमगाना दो घड़ी का ऐश है By Sher << फ़र्क़ क्या मक़्तल में और... सर-ए-महफ़िल वो फिर से आ ग... >> यूँ पलक पर जगमगाना दो घड़ी का ऐश है रौशनी बन कर मिरे अंदर ही अंदर फैल जा Share on: