यूँ तसव्वुर में दबे पाँव तिरी याद आई By Sher << जो चेहरे दूर से लगते हैं ... अब हम भी सोचते हैं कि बाज... >> यूँ तसव्वुर में दबे पाँव तिरी याद आई जिस तरह शाम की बाँहों में सितारे आए Share on: