यूँ तो अश्कों से भी होता है अलम का इज़हार By Sher << कुछ तअल्लुक़ भी नहीं रस्म... मैं अपने दिल की कहता हूँ >> यूँ तो अश्कों से भी होता है अलम का इज़हार हाए वो ग़म जो तबस्सुम से अयाँ होता है Share on: